I happened to visit Unza (More to come about Unza Trip !! ) during my recent visit to Guajrat. I had an opportunity to see the place that we all most admire. I took a chance to take some photos while driving to remind you all that the things have got changed over the time but the memory remains same. I have posted one of the best poem created by me here. The poem is all about Patan. The words in poem are mine but it represents the feeling that your heart bits most. So my all dear Patan mates enjoy it.. 🙂
दिल चाहता है वो सुनहरे लम्हे वापिस आ जायें,
कुछ पुरानी यादें आज फिर और ताजा हो जायें.
वो यूनिवर्सिटी, वो कॉलेज , वो क्लासिस, वो केम्पस,
वो कंप्यूटर, वो की-बोर्ड, वो माउस, वो प्रेक्टिकल लेब्स,
वो लेट से कॉलेज आना, वो जल्दी से घर जाना,
वो सोमवार का छुट्टी, वो शुक्रवार का बंक लगाना,
अकाउंट के लेक्चर की ब्रेकमें एक चाय हो जायें,
कुछ पुरानी यादें आज फिर और ताजा हो जायें.
वो शर्दियो में देर तक लैब में रुकना,
वो बारिस में भीगते हुए कॉलेज आना,
वो लम्बा सा सिलेबस, वो कड़ी धूपमे एक्षाम,
वो अनजाने से क्वेश्चन,जैसे गर्मी में झुकाम
वाह क्या हाल थे अपने, क्या अंदाज थे अपने,
फिर भी हम साथ थे सबके, पास थे सबके,
काश वो पल, वो दिन, वो साल, वापिस आ जायें,
कुछ पुरानी यादें आज फिर और ताजा हो जायें.
वो आशीष के फाफड़े, वो राससंगमकी कचोरी,
वो जुनागंज के पकोड़े, वो अमीरी सेव-खमनी,
वो नवरंग का गोला, वो दाबेली, वो भेलपुरी,
वो आस्वाद का देवड़ा, वो पफ, वो पानीपूरी.
वो बडें बडें होटलमें, वो सस्ता सस्ता खाना.
वो मौसी का बनाया हुआ आलुमिक्स खाना.
चलो रात के दो बजे मुरलीकी एक चाय हो जाये,
कुछ पुरानी यादें आज फिर और ताजा हो जायें.
वो रानीकी वाव, वो छबीला हनुमान,
वो गायत्री मंदिर, वो गुंगली तालाब.
वो पदमनाथ का मेला,वो अतूट सा विश्वास,
वो पुराना बस स्टॉप, वो अलग सा अहेसास,
वो पुरानेसे सिनेमाघर, वो नएसे मूवी,
वो 3rs का अपर, वो 5rs का बाल्कनी,
वो नीलम, वो कोहिनूर, वो मिलन,
एक्षाम टाइम पे यूँही बनते थे विलन.
चलोना फर्स्ट डे फोर्थ शो में एक मूवी हो जायें,
कुछ पुरानी यादें आज फिर और ताजा हो जायें.
वो मासूम सा चहेरा,वो भोली सी निगाहें,
वो गोरे गोरे हाथ , वो बड़ी बड़ी किताबें.
वो पलाखों का झुकना, वो होठो का मुस्कुराना,
उनका यूँही आना , और देख के यूँही शरमाना.
हायें, क्या नजरे थी वो, क्या हसीन नजारा था वो,
सच कहू यारों तो बोरिंग लेक्चर का सहारा था वो.
आज टाइम मशीनसे कॉलेज की मुलाकात हो जाये,
कल क्या पता किस्मत की रेखा किसे कहा ले जायें,
शायद कुछ पब्लिक हमें आज भी वही मिल जाये,
कुछ पुरानी यादें आज फिर और ताजा हो जायें.